
देखो भाई यह दुकान है रखीं भरी मिठाई ।
जिसको देख देखकर के जीभ मेरी ललचाई ।।
भरी जलेबी रस से देखो , भाता है रसगुल्ला ।
भरा हुआ मिल जायें अब इसका एक कचुल्ला ।।
लड्डू पेड़ा गुलाब जामुन और बरफी बसातपेनी ।
बूंदी बड़िया बन्न बन्न के देखो बने है छेना छेनी ।।
बालूसाई रस मलाई आदि के भारी भरे भगोना ।
इमरती बेड़ी रस की गुजिया मालपुआ के दोना ।।
कलाकंद और मगद बेसन के लड्डू रहे ललचाई ।
मेरे भाई मुझे दिला दो , बस थोड़ी बहुत मिठाई ।।
शुगर अगर बीमार तो तुम नहीं खा सकते मिठाई ।
औषधि उचित समय पर लेना नहीं आयेगी कठिनाई ।।
बहिना भाई देख मिठाई मन में अति ललचाते ।
चलो चलो घर तुरंत पिता से पैसा लेकर आते ।।
डा. राजेश तिवारी मक्खन
झांसी उ प्र



