
परिवार का महत्व
परिवार सिर्फ छत दीवार नहीं,
यह मन की ऊष्मा प्यारी है,
ठिठुरन में भी गर्माहट दे,
ऐसी मधुर फुलवारी है।
तपती धूप में छाया बनकर,
थकान को दूर भगाता है,
दुःख की राहों में चुपके से ,
दिल को कोमल सहलाता है।
बंधन नहीं, पहली उड़ान है,
सपनों की यह थाती है,
गिरकर भी फिर उठने का,
हर पल साहस दिलवाती है।
दर्द कहे बिना पढ़ लेता,
यही तो इसकी पहचान,
खुशियों को बाँटकर करता,
दोगुना हर आनंद महान।
जड़ों–सा यह मूल हमारा,
पहचान यहीं से पाती है,
माला–से मोती रिश्तों के ,
जीवन को नव संवारा है।
माँ का आँचल, पिता का साया,
भाई का संबल साथ,
बहना की हँसी चिराग बने,
भर दे मन में मधुमास।
दादी का अनुभव अमृत–सा,
चाची की ममता छाँव,
भाभी की कोमल मधुरता से ,
महके घर का गाँव।
समय बदल जाए पर इसका,
साथ न कभी बदलता है,
दुःख गहराएँ तो यह बनकर,
और अधिक संभलता है।
सुख आए तो दुगुना झलके,
दुख आए तो आधा हो जाए,
ऐसी ही इसकी परिभाषा,
यह मन से मन को मिलाए।
दीपक भी है, मार्ग भी है,
हर अँधियारा काटे यह,
सबसे सुरक्षित यही ठिकाना,
जीवन की नैया साधे यह।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार




