साहित्य

यक्ष प्रश्न

राकेश चन्द्रा

हर बार डाक्टर की क्लीनिक में बैठकर
सोचता हूँ कि काश!
ऐसा न किया होता, या
वैसा न किया होता!
कभी-कभी तो लगता है
कि मुझे सन्त-महात्माओं जैसा जीवन जीना चाहिए.

फिर मैं अपने-आप से पूछता हूँ कि क्या कोई
ऐसा उपाय है जिससे
मेरा शरीर रह सके सदा निरोगी?
फिर सोचता हूँ कि
क्या सन्त-महात्मा
कभी बीमार नहीं पड़ते होंगे?

यक्ष प्रश्न तो यक्ष प्रश्न हैं-इनकी तो नियति है
अनुत्तरित रहना!

पर मेरा क्या? मुझे तो समय काटना रहता है,
अपना नम्बर आने तक.
@राकेश चन्द्रा

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!