
मध्य प्रदेश के आदिवासी पिछड़े अंचल झाबुआ जिले में मेरा जन्म हुआ यहां के सहज सरल और सादगी लिए मानवनीय देवत्व इंसान को जन्म से देख रहा हूं और सुकून महसूस करता हूं
एकदम सहज सरल और सादगी लिए मानवनीय इंसान हैं जो बेहद कर्म शील जीवन जीने में विश्वास करते हुए जीते हैं और सदा खाना बिना तेल और धी के रोटी और लहसुन की चटनी या मक्का की रोटी प्रिय है, सुबह जल्दी उठ कर खाना खा खेतों में जीवन व्यतीत कर देते हुए सदा स्वस्थ , मस्त और प्रसन्न रहते हैं
तन पर हाथ भर कपड़ा बस इतना बहुत है इनके लिए, बिना चप्पल के नंगे पैर सालों व्यतीत कर देते हैं
अद्भुत संत जीवन दर्शन लिए जीते हैं और हमेशा स्वस्थ रहते हुए खुश प्रसन्न रहते हैं, गांव के किसी की भी समस्या हो सबकी समस्या बन जाती हैं उसे मदद करने के साथ पूरा साथ देते हैं
कोई भी बात हो आपस में मिल बैठ कर हल कर लेते है या गांव के तड़वी द्वारा न्याय दिया जाता हूं आज भी गांव की कितनी ही बड़ी बात या समस्या हो मिल जुल कर हल निकाल लेते हैं
अतिथि का , स्वागत कैसे किया जाता है, कोई इन से सिखे , उसके महत्व को अस्तित्व को पूरी निष्ठा समर्पण से लेता है और उसकी सेवा में पूरी तरह लग जाती हैं, खाना पीना और आराम सब कुछ ध्यान रखते हुए उसका सम्मान करते हुए दिखाई देते हैं
दिन भर अपने खेत और खलियान में व्यस्त और मस्त रहने वाले ये लोग सचमुच बेहद सहज सरल और भोले भाले इंसानों है जो सदियों से ठंड , गर्मी , बारिश आदि से सामना करते हुए लगे रहते हैं खेतो में दस्तक देते हुए कर्म शील जीवन जीने में विश्वास करते हुए
हर मौसम को धूल चटाते हुए सदा ही मस्त और खुश रहते हैं, मौसम कैसा भी हो कितना ही भयानक बारिश हो, ठंड हो, धूप हो, इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है , मौसम से डरते नहीं बल्कि मौसम इनकी अद्भुत तासीर से डरता है और कोई भी मौसम इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है यह है इनकी अद्भुत तासीर और आत्मा विश्वास निष्ठा समर्पण लगन साधना तपस्या जीवन सार्थक करने की कला, स्कूल जो अज्ञानी होते हुए भी अद्भुत ज्ञान, बुद्धि और विवेक लिए अपनी सारी समस्याओं को खुद हल कर लेते है
सर्दी , जुखाम , बुखार जैसी आए दिन शहर में दस्तक देती बिमारियों से मुक्त होते है और ये रोग इनके आंगन में दस्तक नहीं दे पाते है वजह है इनकी अद्भुत तासीर और सतत् सक्रिय रूप से प्रतिदिन कर्म शील जीवन मौत को भी लड़ना पड़ता हैं इनकी अद्भुत तासीर के आगे
कर्म शील जीवन जीने को हो जीवन दर्शन मानते हुए जीते हैं और हमेशा स्वस्थ रहते हुए लगे रहते हैं खेतो में दस्तक देते हुए गर्व महसूस करते हुए जीवन पर्यन्त सुखद और प्रसन्न महसूस करते हुए, जैसे जानते हो सदैव प्रसन्नचित रहना ही ईश्वर की सबसे बड़ी साधना, तपस्या हैं
इनके पर्व और त्यौहार भी अद्भुत होते हैं और सुखद अहसास कराते हैं कमाल बेहिसाब प्रस्तुति के साथ सदा ही हर पर्व में होता हैं इनके नाच गान और डोल धमाके के साथ मस्ती और उमंग , जिसको देख कर शहरी लोग आश्चर्य करते हैं और यह सत्य भी है कि भूखे हो पर पर्व में मस्ती अनोखी लिए होते है और सदा ही खुश और प्रसन्नता का संदेश देते हुए गर्व महसूस करते हैं अपने पर्व पर अपने जीवन पर
यूंही नहीं इनके अद्भुत भगोरिया पर्व को देखने के लिए देश और विश्व के लोग दौड़ लगाते हैं इनके आंगन में दस्तक देते हुए सुख सुकून महसूस करते हैं
सच तो यह है कि , जीवन सार्थक की , सुख सुकून की अद्भुत परिभाषा कोई इनसे सिखे तो सचमुच सुंदर शुभ सुखद जीवन व्यक्ति व्यतीत कर सकता है और हर हाल में प्रसन्न और खुश रह सकता है
इनके जीवन जीने की शक्ति और कला सचमुच वंदनीय है और लंबी आयु और सुकून देते हुए जीवन की सार्थकता है यही नहीं लंबी उम्र और उन्नति विकास लिए स्वस्थ जीवन होता हैं
दूसरों के लिए जीते हुए जीवन सार्थक करने वाले अद्भुत इंसान है जो पूरा जीवन लगा देते हैं अपना कर्म करते हुए खेत और खलियान में और पैदा किया हुआ अपनी मेहनत से अनाज सस्ते दाम में, देश को भेंट कर देते हैं हजारों, लाखों करोड़ों लोग का पेट भरने वाले यह अद्भुत देवत्व इंसान हैं जो सचमुच वंदनीय है और ईश्वरीय रूप है
करोड़ों की जमीन के मालिक होते है और बेहिसाब परिश्रम कर अनाज सस्ते दाम में देश को भेंट कर खुद अपनी झोपड़ी में हर मौसम से युद्धरत रहते हुए प्रसन्न हो जीते हैं
खुले आसमान की छत के नीचे जीते हुए, पशु पक्षी और पेड़ पहाड़ नदी से बात करते हुए उनके साथ जीते हुए जीवन पर्यन्त सुखद महसूस करने वाले ये लोग प्रकृति की तरह ही सहज सरल और सादगी लिए मानवनीय इंसान होते है और सदा ही स्वस्थ मस्त और खुश रहते हुए सभी को जीवन दर्शन मंत्र दे जाते है
धन्य धरा भारत,धन्य धरा जहां, ये अद्भुत देवत्व इंसान रहते हैं जो सचमुच प्रेरणा स्त्रोत है सभी के लिए इनका जीवन दर्शन, कर्म शील जीवन जीने में और सदा ही खुश रहने में विश्वास करते ये लोग, दवाई , मन्दिर , महंगे वस्त्र और भौतिक सुविधा से मुक्त हैं कोई भी ऐसी बैसाखी नहीं है जो इनको गुलाम बना कर रखे, कितना बड़ा
संदेश देते हैं कि, बैसाखियों के सहारे
जीने वाले कमजोर होते है जीना है तो खुद के आत्म विश्वास पर भरोसा पर श्रम और कर्म पर विश्वास करते हुए सदा प्रसन्न रहते हुए
सच तो यह है कि जितना लिखा जाय कम होगा इनके जीवन पर , जीवन जीने की अद्भुत कला साधना तपस्या पर, प्रणाम करता हूं सत् सत् प्रणाम करता हूं इन ईश्वरीय तुल्य लोग को इनके जीवन को , जो सचमुच बहुत कुछ सिखा जाता है और आदमी चाहे तो वह भी, कम साधनी में, कम इच्छा और चाहत ले
सदा ही सभी के हित विचार सोच चिंतन लिए सदा ही प्रसन्न और खुश रहते हुए जीवन सार्थक कर सकता है
*डॉ रामशंकर चंचल*
*झाबुआ मध्य प्रदेश*




