
श्री गणेश एक दंत , गजानन दयावंत ,
विघ्नेश प्रथम पूज्य , करें भक्त गुणगान।
शुभ लाभ के उद्गाता,ऋद्धि सिद्धि के हैं स्वामी,
भक्तों के हैं अनुरागी,मन गंगा हो बखान।
लम्बोदर विनायक,ज्ञान सुधा के दायक,
तुमसे ही श्रुति स्मृति,नित होता जयगान।
अक्षर अक्षर श्रद्धा,विनती का छंद उठे,
गणपति संग चले,मिल जाता वरदान।
एकदंत वरेण्य हैं,तुम्हारा मंगल मूल,
शुभ शांतिमय देखे,मिटता है अंधियार।
करुणा बरसे तेरी,फैला दृग से उजाला,
तुम आए धरा पर,बदली दुख की धार।
गौरी सुत श्री गणेश, पिता जिनके महेश,
हरते सभी के क्लेश,भरते हैं सुविचार।
प्रणतों के हितकारी,दीनबंधु प्रभुदाता,
नाम जपे एकदंत, वह पाता उजियार।
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार



