साहित्य

एण्टी रोमियो कार्यक्रम में दो मुक्तक

दिनेश पाल सिंह *दिलकश*

राहों में यूं तंग करना, ये कोई शौर्य नहीं होता है ‘
इज्जत का अर्थ समझ लो,वही असली गौरव होता है।

दूसरों की बेटियों को भी, अपनी बहन से मानो तुम’
यही संस्कार हर इंसान का, असली आभूषण होता।
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
बदल डालो आदतें ,जो दूसरों को पीड़ा देती है’
नजरे झुकने चलना ही, असल में सज्जनता होती है।

कानून से पहले खुद को सुधारो, यह सबसे अच्छा है होता है ।
कानून से पहले खुद को सुधारो यह सबसे अच्छा होता है’
सम्मान की राह पकड़ लो यहीं, जीवन की विजय होती है।।
✍️दिनेश पाल सिंह *दिलकश*
चन्दौसी जनपद संभल

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