साहित्य

जो पत्थर चोटों से तराशा जाता भगवान बन जाता है

एस के कपूर "श्री हंस"

1
रोज ही लाख शुकराना अदा करो भगवान का।
अनमोल चोला दिया कि हमको इंसान का।।
दुयाऐं लो और दुयाऐं दो इस एक जिंदगी में।
जानो छिपा इसी में खजाना हमारे नेक नाम का।।
2
दूसरे से पहले अपना मूल्यांकन तुम रोज करो।
कहां भीतर कमी तुम्हारे इसकी तुम सोच करो।।
भावना , संवेदना आभूषण हैं अच्छे मानव के।
कभी किसी के दर्द की भी तुम खोज करो।।
3
कर्म वचन वाणी से सदा सबका तुम उद्धार करो।
किसी सहयोग का तुम मत कभी अपकार करो।।
यह मानव जीवन मिला जीने और जीने देने को।
मानवता रहे जीवित बस तुम यह उपकार करो।।
4
क्षमा करने से बड़ा कोई और दान नहीं है।
स्वयं को जानने से बड़ा कोई और ज्ञान नहीं है।।
रोज खुद को गढ़ते रहो तुम कारीगर बन कर।
जानो लो बुराई करने से आसान कोई काम नहीं है।।
5
छीनने से देने वाला ही बस महान कहलाता है।
आचरण में उतारने वाला ही विद्वान कहलाता है।।
जो खुशी देते हैं हम दुगनी होकर है वापिस आती।
जो पत्थर चोटों से तराशा जाता भगवान कहलाता है।।

रचयिता।।एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली।।

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