
जब याद तुम्हारी आती है
वो ख्वाबों में ले जाती है
तिल का ताड़ बना दे पल में,
वह इतना हमें सताती है.!!
वो सावन के झूले
आज लौ नहीं भूले,
क्लास में लेट जो जाना
देख कर फिर मुस्काना,
लंच का वो खाना
साथ में मेरे खाना,
एकांत में बैठकर सोचूं
तो कितना सुकून दे जाती है।
जब याद तुम्हारी आती है
टूटे ख्वाबों में ले जाती है.!!!
वो पुरानी खत की बातें
वो सुहावनी भीगी रातें
चांद को देखकर कहना
तुझसे वो सोना सलोना
इन्हीं उलझे जज़्बातों में
मेरी नींद गुजर जाती है।
जब याद तुम्हारी आती है
वो ख्वाबों में ले जाती है.!!
कभी वो शर्माना
कभी गले लिपट जाना,
सुनाते वो गाने
बनाते जो दीवाने,
अब भी खुशियों की वो घड़ियां
बदली सी बरस जाती है.!!
जब याद तुम्हारी आती है
वो ख्वाबों में ले जाती है
तिल का ताड़ बना दे पल में,
वह इतना हमें सताती है.!!
संजीव हल्दिवी ©️✍🏽®️
बरेली उत्तर प्रदेश


