साहित्य

भांजी शादी में शामिल न होने पर मामा की अभिव्यक्ति

दिनेश पाल सिंह दिलकश

शादी में मैं न आ सका, मन हर पल रोता जाता है,
है दूर बहुत फिर भी ,सुख का सावन बरसाता है।
प्यारी भांजी आज तुम्हारी, डोली सज-संवर जाएगी,
मामा की दिल से निकली दुआ, हर कदम संग आएगी।

मेंहदी की खुशबू सपनों में, मेरे तक आ ही जाती है,
आँख बंद करूँ तो तेरी, हँसी झनकार सुनाती है।
काश आज तुम्हारे सिर पर, मैं अपना हाथ रख पाता,
पलकों में भरकर लम्हों को, दो आँसू बाहर झर जाता।

बारातों की रौनक में ,मेरी कमी दिख जाएगी ज़रूर,
कोई फ़ोटो देखकर पूछे,“कहाँ गया दिल का सरूर?”
फिर भी मेरी नेमत तुम पर, हरदम साया बन जाएगी,
किस्मत की राहों में भी, खुशियों की दुल्हन मुस्काएगी।

तेरे आँचल पर बिखरे मोती ,सपनों की झिलमिल लोरी हैं,
दूल्हे संग तेरी जोड़ी पर ,ईश्वर की चरण-चाँदौरी है।
सात फ़ेरे हों या सात जनम, तू खुशियों से भर जाए,
दुख की परछाई भी तुझसे, सौ कोस दूर रह जाए।

बहना जब तुझे डोली में ,बिठाकर धीमे से मुस्काएगी’
भीगी-भीगी आँखों में ,उसकी मेरी यादें दिख जाएंगी।
घर की चौखट कह देगी, “मामा आज रह गया दूर”,
पर दिल कहेगा, “ममता के धागे जोड़ें हर दूरी हू-ब-हू”!

सपनों के इस शुभ क्षण में, मेरी मौजूदगी हो न सही,
रिश्तों की डोर में दूरी हो, तो भी दूरी हो न सही।
पर याद रखो बिटिया मेरी,मामा का साया हर दम साथ,
और अंतिम दुआ में चमकता रहेगा दिलकश का विश्वास।
*दिनेश पाल सिंह दिलकश*
*चन्दौसी जनपद संभल, उत्तर प्रदेश*

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