
है सत्य तुम हो कलयुग की “राधा”
फिर! कैसे पूज्य तुम हो पाओगी!
निर्मल स्वछंद जल की अविरल वह,
धारा बनकर तुम क्या बह पाओगी।
संस्कारित, सात्विक एवं मर्यादित,
क्या प्रेम कभी तुम कर पाओगी!
बांध नेह से, नेह का पावन बन्धन,
क्या तुम फिर यह देह बचा पाओगी!
है असंभव मात्र वासना हेतु ही तुम,
रति कामिनी अंततः बन जाओगी।
धैर्य ,धर्म, संयम और नियम ,संबल
जब नहीं निभा तम इन्हें पाओगी।
नारी होकर नारी चरित्र को अपने,
कृत्यों से कलुषित कर जाओगी।
फिर तुम कहो हे कलयुग की नारी,
कहां नर में कृष्ण को तुम पाओगी।
धर चरित्र पूतना सा, और प्रवृत्ति,
क्षण -क्षण तुम उसकी अपनाओगी।
है परम सत्य यह, तुम हो अनभिज्ञ
नहीं पूज्य कभी, तुम हो पाओगी।
सीमा शर्मा “तमन्ना”✍️
नोएडा उत्तर प्रदेश




