साहित्य

जागो युवा

किरण कुमारी 'वर्तनी'

जागो युवा पुकारे माटी।
खतरे में भारत की घाटी।।
जाति धर्म से ऊपर आओ।
मिलकर सारे कदम बढ़ाओ।।

मूल शत्रु का काटो प्यारे ।
अरि उखाड़कर फेंको सारे ।।
पनपे नहीं कभी दोबारा ।
आज दिखाओ दिन में तारा।।

पहले हम भेदी को मारेंगे।
शत्रु स्वत:ही मर जाएंगे ।।
रक्त धरा में अब न बहेगा।
रिपु का हर स्वप्न ढहेगा ।।

वार पीठ पर करने वाले।
मुखड़ा से हैं भोले भाले।
पढ़े -लिखों का है यह टोला ।।
देख जिसे बस दहके शोला।।

गले लगाकर पीड़ा देते।
मौका देख प्राण ही लेते।
नित्य बुद्धि से बढ़ते जाना।
पग -पग पर तुम सबक सिखाना।।

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