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नायिका के अभिनव संघर्ष की प्रेरणादायी गाथा
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अंग्रेजी लेखिका काबेरी चट्टोपाध्याय की आत्मकथा ” पीपिंग थ्रू माय विंडो” का हिंदी अनुवाद “जागती स्मृतियां” का प्रसिद्ध हिन्दी कवियत्री और लेखिका सुषमा त्रिपाठी ने किया है। मूल आत्मकथा पुस्तक का बंगला और तेलुगु में अनुवाद प्रकाशित किया गया है जबकि तमिल में कार्य चल रहा है।
यह आत्मकथा” जागती स्मृतियां” मानव जीवन की एक संघर्षपूर्ण गाथा है जिसमें नायिका स्वयं काबेरी हैं जिनके जीवन में आये हर्ष,शोक -विषाद, कठिन और संघर्ष भरे जीवन को बखूबी प्रस्तुत किया गया है। बाल्य काल से ही मां के असाध्य रोग के कारण परिवार की जिम्मेदारियां, छोटे भाई की मानसिक बीमारी और मां की मृत्यु के बाद पिता सहित परिवार की देखभाल करना प्रशंसनीय है। पुरुष प्रधान समाज तथा उस समय की विधवाओं के अमानवीय जीवन का सटीक वर्णन मन को छू जाने वाला है।बाल विधवा बुआ राधारानी की अमानुषिक कठोर विधवा जीवन की बाध्यता के कारण उनके हृदय और वाणी की कटुता में व्यक्त होती थी जोकि अस्वाभाविक नहीं कहा जा सकता है।
यही नहीं जब वह कैंसर जैसे रोग की चपेट में आई ,तब उनकी जिजीविषा देखने लायक है। बिना डरे , बिना किसी खिन्नता के रोगमुक्त होकर लंबा जीवन जी रही हैं वह उनकी प्रबल आत्मशक्ति का परिणाम है जोकि प्रेरणादायक है।जिसने असंख्य कैंसर पीड़ितों को राहत और आत्म विश्वास की प्रेरणा दी है। इन सब में प्रेम करने वाला जीवन साथी और सुसंस्कृत संतान की भूमिका उल्लेखनीय है। नायिका के पति सेना में अधिकारी होने के कारण संपूर्ण भारत में स्थानांतरित होकर सक्रिय परिवार और समाज की महती जिम्मेदारी को वहन किया है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लेखिका की भाषा और शब्द विग्रह पाठकों के अनुकूल हैं लेखिका ने आसाम और बंगाली संस्कृति का वर्णन बहुत अच्छे से किया है ।
अनुवाद लेखिका सुषमा त्रिपाठी उभरती हुई कवियत्री और कथा लेखिका हैं। जिनकी कहानियां देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। जिसमें प्रमुख हैं – गृह लक्ष्मी ( नई दिल्ली), साहित्यनामा , दैनिक जनसत्ता ( कोलकाता), दैनिक मिलाप( हैदराबाद तेलंगाना)। यही नहीं कई साझा काव्य संग्रह में कविताएं सम्मिलित की गयी हैं।मांडा प्रकाशन,नई दिल्ली के साझा काव्य संग्रह ” शब्दों की सिहरन” में 14 कविताएं प्रकाशित हुई हैं।
पुस्तक — जागती स्मृतियां
अनुवाद लेखिका — सुषमा त्रिपाठी
पृष्ठ संख्या — 110
मूल्य — 300 रूपये
प्रकाशक — विरासत आर्ट प्रकाशन, कोलकाता, बंगाल।
Photo from i s tripathi
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