
मन में हो संकल्प तो मंजिल कोई दूर नहीं,
न उम्र बने बाधा संगी-साथी की परवाह नहीं।
बस चाहत की दरकार है,हर मंजिल तेरे दर पर होगी,
ठान लिया जो करने को,वो साकार स्वप्न होना ही है।
आँधी-तूफाँ कैसे भी आएँ, दृढ़ संकल्प परिपूर्ण करें,
मन का विश्वास स्तंभ बने,निष्ठा लगन पतवार बने।
कर्मवीर की आशा ही मंजिल पर उनकी पदचिह्न छपे,
आने वाली पीढ़ी को उत्प्रेरित करे ,ऐसा गर्वित गीत बने।।
सुषमा श्रीवास्तव, रूद्रपुर, ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड।




