साहित्य

मंगल बेला नवपल्लव फायकू (२०)

डाक्टर महिमा सिंह


मंगल बेला छाए चहुंओर
नई आशा जगमगाए
तुम्हारे लिए.


नवपल्लव नवजीवन झूमे हर
सपने को चूमे
तुम्हारे लिए.


नवसृजन की मिठास भर
दे मधु-उल्लास
तुम्हारे लिए.


उमंगों की स्वर्ण किरण
दे मन-नवचयन
तुम्हारे लिए.


तरंगों का रस दूर
करे हर कष्ट
तुम्हारे लिए.


मंगल प्रभात बेला भर
दे स्नेह अपार
तुम्हारे लिए.


नवपल्लव की छाँव निराली
दे हरियाली भाव
तुम्हारे लिए.


नवसृजन का दामन सदा
लाए स्वर्णिम क्षण
तुम्हारे लिए.


उमंगों की नाव अविराम
पार करे प्रवाह
तुम्हारे लिए.

१०
तरंगों का गान दे
नव-जीवन मान
तुम्हारे लिए.

११
स्वर्णिम मंगल बेला पुकारे
सुख-दीप उजियारे
तुम्हारे लिए.

१२
नवपल्लव नवजीवन मधुमास मुस्काए
हर पीड़ा हरसाए
तुम्हारे लिए.

१३
नवसृजन की राह भर
दे नव-चाह
तुम्हारे लिए.

१४
उमंगों की लय दे
शुभ-प्रेरणा नयी
तुम्हारे लिए.

१५
तरंगें मंद शीतल–सी
बांधें नव-हँसी
तुम्हारे लिए.

१६
मंगल बेला गाए प्रभाती
सुख-दिवस सजाए
तुम्हारे लिए.

१७
नवपल्लव का राग-रंग भर
दे चिर-आनंद
तुम्हारे लिए.

१८
नवसृजन का स्वर गूंजे
मिटे अमंगल सारे
तुम्हारे लिए.

१९
उमंगों की सुखद उड़ान
झंकारे नव-तान
तुम्हारे लिए.

२०
तरंगों की लय भरी
खुशियों की डोरी
तुम्हारे लिए.

#शब्दमेरेमीत
#डाक्टर महिमा सिंह

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button
error: Content is protected !!