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आवरण नहीं आचरण से चरण वंदन होता है।
प्रभु और मानवता के पूजन से मन नंदन होता है।।
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आदमी की पहचान सूरत से नहीं आचरण से करो।
मत जीवन को अपने नफरत और अवगुण से भरो।।
मत संघर्ष से डरो कि सोना तप कर कुंदन होता है।
आवरण नहीं आचरण से चरण वंदन होता है।।
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गर तलाशने निकलोगे तो हर किसी में खामी दिखेगी।
अगर तराशोगे तो हर किसी में तुम्हे खूबी मिलेगी।।
जब जीत लेते किसीका दिल तभी मन रंजन होता है।
आवरण नहीं आचरण से चरण वंदन होता है।।
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अगर कहने को जीभ मिली तो सुनने को कान रखो।
अपनी वाणी में अधीरता नहीं धीरज पहचान रखो।।
नफरत से रहो अगर दूर तो तन-मन चंदन होता है।
आवरण नहीं आचरण से चरण वंदन होता है।।
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रचयिता।।एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली।।



