
शक्ति हैं सीता शक्तिमान श्री राम ।
धनुषभंग को पड़ा शक्ति से काम ।।
बिन पाती के हैं पाहुने आये ।
पुष्प वाटिका के पुष्प सुहाते ।।
जानकी जी के जिये समाये ।
जाकर गुरू को हाल सुनाये ।।
निरख निरखकर शशि में सीता
प्रभु किया आप विश्राम ।
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सिय की सुन्दरता ही भाई ।
देखें उनको नहीं आये राई ।।
राम लखन को बात सुनाई ।
बातें वाटिका गुरूहि बताई ।।
सफल मनोरथ होय तुम्हारे गुरु
का वरदान आया काम ।
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जीत जानकी की ही हुई हैं।
राम धनुष की डोरी छुई हैं ।।
परम प्रेम की बारिश हुई हैं ।
हार हृदय की शोभा हुई हैं ।।
झुक गये राम वर माला काजे
भुमिजा के आये भाई काम ।
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कुहबर में सब हंसी करत हैं ।
पादुका पूजन करत भरत हैं ।।
लक्ष्मण पर न व्यंग्य सरत हैं ।
बातन बातन में वहां लरत हैं ।।
मक्खन मन में मग्न हुए हैं
मनोहर रूप देख अभिराम ।
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डा राजेश तिवारी मक्खन
झांसी उ प्र



