साहित्य

गीत सृजन

डाॅ सुमन मेहरोत्रा

मुखड़ा
अगर मुझको तेरा सहारा न होता,
इस जग में कोई हमारा न होता।

तेरी यादों के दीप मेरे संग जलते,
अँधेरों के बीच में हम साहिल तक चलते।
तेरे बिना दिल भी बेचारा न होता,
अगर मुझको तेरा सहारा न होता।

तेरी बातों में छुपा सुकूनों का मौसम,
तेरी पलक में ही छुपा जीवन का संगम।
तेरी मुस्काँ का उजियारा न होता,
इस जग में कोई हमारा न होता।

तू साथ है हर मौसम सजे फूलों जैसा,
तेरे बिना लगती दुनिया अधूरी कैसी।
तेरा प्यार न मिलता कुछ भी न होता,
अगर मुझको तेरा सहारा न होता।

तेरी धड़कन में ही जीने की धुन बसती,
तेरे बिना ये सांस भी राह में भटकती।
तेरी राह से फ़ासला मिटा होता,
इस जग में कोई हमारा न होता।

हर जख्मों को मलहम जो तुम्हारा न मिलता,
दिल की धड़कन को मेरी गुजारा न होता।
हमको भी अपना किनारा न होता ,
अगर मुझको तेरा सहारा न होता।

डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

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