
तुम सा नहीं जहाँ में कोई हुजूर होगा
आके गले लगा लो हम को गुरूर होगा।
अब तक रहा अकेला पर अब नहीं रहेगा।
तेरा खयाल दिल का मेरा शऊर होगा ।
मिलते यहाँ सभी हैं पर दिल नहीं मिलाते
अपने वजूद का फिर उसको सुरूर होगा।
दिखता नहीं मुझे अब कोई हसीं यहाँ कुछ ।
तुम सा हसीं कभी क्या वो कोहिनूर होगा।
दिल में सिवा तुम्हारे कोई नहीं हमारे
जब हो चुकी मुहब्बत कोई न दूर होगा।
सदका उतार लूँ मैं कोई नज़र न डाले
गर देर हो गयी तो मेरा कसूर होगा।
मंजुला शरण “मनु ”
राँची,झारखण्ड ।




