
धरा को हरा बनाते हुए
कुछ लिखते हैं ?
सोए को जगाते हुए,
रोए को हँसाते हुए।
कुछ लिखते हैं ?
रूठे को मनाते हुए
गिरते को उठाते हुए।
कुछ लिखते हैं ?
बिछड़ों को मिलाते हुए,
अनाथों को सहलाते हुए।
कुछ लिखते हैं ?
हम को स्वयं से मिलाते हुए,
लाचार को बुलन्दियों पे लाते हुए।
कुछ लिखते हैं ?
रात तारों से दीये जलाते हुए,
उषा- किरण से गुलाल उड़ाते हुए।
कुछ लिखते हैं ?
धरा को हरा बनाते हुए,
पौधों को गुलसन में लहराते हुए।
कविता ए झा
नवी मुम्बई




