साहित्य

कुछ लिखते हैं

कविता ए झा

धरा को हरा बनाते हुए

कुछ लिखते हैं ?
सोए को जगाते हुए,
रोए को हँसाते हुए।

कुछ लिखते हैं ?
रूठे को मनाते हुए
गिरते को उठाते हुए।

कुछ लिखते हैं ?
बिछड़ों को मिलाते हुए,
अनाथों को सहलाते हुए।

कुछ लिखते हैं ?
हम को स्वयं से मिलाते हुए,
लाचार को बुलन्दियों पे लाते हुए।

कुछ लिखते हैं ?
रात तारों से दीये जलाते हुए,
उषा- किरण से गुलाल उड़ाते हुए।

कुछ लिखते हैं ?
धरा को हरा बनाते हुए,
पौधों को गुलसन में लहराते हुए।

कविता ए झा
नवी मुम्बई

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