
आजकल फिर वो मुस्कुराने लगा है,
फिर कोई गीत नया गाने लगा है।।
नफरत को फिर वो भुलाने लगा है,
दियों को दिये से जलानें लगा है।।
वफाओं की महफ़िल सजाने लगा है,
भरोसे में फिर वो सबके आने लगा है।।
नज़र से नज़र वो मिलाने लगा है,
नफ़रत को दिल से भुलाने लगा है।।
तूफां को सर पे उठाने लगा है,
कहानी में नया मोड़ आने लगा है।।
डॉ. आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर




