साहित्य

गीत – ए बेटी

विद्या शंकर विद्यार्थी

चुटुकी भर सेनूरा के मोल अनमोल बा,
जिनिगी के मिले किरदार हो,
ए बेटी जिनिगी के बगिया हो महकेला,
सेनूरा दमकेला लिलार हो,,,,।
अंखिया फफाए तऽ हियरवा ए बेटी
बिहरे करेजवा हमार हो
बुझऽ ना सेनूरवा के मोलवा ए बेटी,
भगिया सँऽवरल तोहार हो,,,,,।
खोंता के चिरईंया पराया नाहीं होलू हो
चमके टिकुलिया के जोत हो
अंखिया के लोरवा ना लोरवा ए बेटी,
हउए सनेहिया के सोत हो,,,,,,।

विद्या शंकर विद्यार्थी रामगढ़, झारखंड

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