साहित्य

मैं उसकी बात करूँ,वो मेरी बात करे

एस के कपूर "श्री हंस"

1
हाथों में सब के ही सब का हाथ हो।
एक दूजे के लिए मन से साथ हो।।
जियो और जीने दो,एक ईश्वर की संतानें।
बात यह दिल में हमेशा ही याद हो।।
2
सुख सुकून हर किसी का आबाद हो।
हर किसी के लिए संवेदना यही फरियाद हो।।
हर किसी के लिए सहयोग यह हो सरोकार।
मानवीय रूप में ही एक दूजे से संवाद हो।।
3
हर दिल में बस स्नेह – प्रेम का ही भाव हो।
दिल के भीतर तक बसता प्यारा सा लगाव हो।।
प्रभाव नहीं हो किसी पर भी घृणा के दंश का।
आपस में मीठे बोल का कहीं नहीं अभाव हो।।
4
हर कोई दूसरे के जज्बात की ही बात करे।
हो विश्वास का बोलबाला न घात- प्रतिघात करे।।
स्वर्ग से ही हिल -मिल कर रहें धरती पर हम।
मैं बस उसकी बात करूं और वह मेरी बात करे।।

रचयिता।।एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली।।

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