मासिक काव्य-गोष्ठी में साहित्य का हुआ भव्य उत्कर्ष, रचनाकारों ने बिखेरी सृजनशील चमक

श्री देव दीप साहित्य संगम के तत्वावधान में विश्वकर्मा मंदिर, झूलेलाल मंदिर के पीछे स्थित मानसरोवर में नियमित मासिक काव्य-गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रप्रकाश वर्मा ‘अकिंचन’ ने की, जबकि सुप्रसिद्ध शायर बहार गोरखपुरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में बिंदु चौहान, प्रेमलता और सुमन झा माहे ने गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराई।
गोष्ठी का शुभारंभ अध्यक्ष, मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा वीणा-वाणी सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम में अभय श्रीवास्तव, बिंदु चौहान, दानिका प्रसाद इंजीनियर, दीपक सैनी बांसगांव, प्रेमचंद्र निगम, डॉ. एस. के. विश्वकर्मा, राघवेंद्र मिश्र, छेदीलाल वर्मा ‘रहबर’, राजकुमार सिंह, आनंद कुमार विश्वकर्मा ‘मधुकर’, पल्लवी झा, वंदना सूर्यवंशी, हेमलता ओझा, राहुल श्रीवास्तव, दयानंद त्रिपाठी ‘व्याकुल’, शंभू हासमी, कौशल हासमी, राजकुमार सिंह, शायर दीदार बस्तवी, डॉ. हनुमान प्रसाद चौबे, राजेंद्र बहादुर सिंह ‘हंस’ तथा दिनेश गोरखपुरी ने अपनी उत्कृष्ट काव्य-प्रस्तुतियों से गोष्ठी को गौरवान्वित किया।
वक्ताओं की प्रभावशाली प्रस्तुतियों ने साहित्यिक वातावरण को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाते हुए गोष्ठी को चार चाँद लगा दिए। गोष्ठी का कुशल, आकर्षक एवं प्रभावी संचालन नंदकुमार त्रिपाठी ‘नन्द’ द्वारा किया गया, जिनकी संचालन शैली ने कार्यक्रम को साहित्यिक गरिमा से ओतप्रोत कर दिया। श्रोताओं की लगातार वाह-वाह से पूरा सभागार गूंजायमान रहा।
कार्यक्रम के अंत में पटल के अध्यक्ष दिनेश गोरखपुरी ने सभी आगंतुकों, कवियों और श्रोताओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया। तत्पश्चात उत्तर प्रदेश पूर्वांचल के महान साहित्यकार डॉ. उपेन्द्र एवं रामदरश मिश्र को स्मरण करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसी के साथ गोष्ठी का विधिवत समापन किया गया।




