आलेख
-
लिव-इन रिलेशनशिप- लज्जाहीन दैहिक सुख
भारतीय समाज का मूलाधार केवल सामाजिक संरचनाएँ नहीं, बल्कि शास्त्रसम्मत मर्यादाएँ, लज्जा, संयम और दायित्वबोध हैं। यही कारण है कि…
Read More » -
सत्य की छाया में फलता- फूलता झूठ : एक दार्शनिक विवेचन
सत्य की छाया में फलता- फूलता झूठ : एक दार्शनिक विवेचन चुनाव हो, युद्ध हो या फिर प्रेम हो- झूठ…
Read More » -
भारतीय सनातन और अद्वैत दर्शन
भारतीय सनातन दर्शन केवल किसी धार्मिक आदेश या विश्वास प्रणाली का नाम नहीं, बल्कि अस्तित्व के सत्य, चेतना के स्वरूप…
Read More » -
स्वतंत्रता, जिम्मेदारी और पत्रकारिता का नया संघर्ष
डाॅ.शिवेश्वर दत्त पाण्डेय हर वर्ष 16 नवम्बर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय प्रेस दिवस केवल स्मरण का अवसर नहीं, बल्कि…
Read More » -
एनडीए को प्रचंड ऐतिहासिक जनादेश
बिहार विधानसभा का यह नतीजा अप्रत्याशित हैं. इतिहास में ऐसे दिलचस्प नतीजे शायद ही किसी राज्य के रहे होंगे. यह…
Read More » -
देहि मे ददामि ते और जकात
देहि मे ददामि ते और जकात ———– संसार में जो भी दृष्टिगोचर,अनुभवजन्य व संसर्गात घर्षण-प्रतिघर्षण सहित या रहित पदार्थ हैं…
Read More » -
चूड़ाकर्म संस्कार
सनातन संस्कृति में — संस्कारों का अद्भुत मान, धर्म, योग, वेद मिलकर — करते जीवन का निर्माण। सोलह महान…
Read More » -
महाजनों येन गत: स: पंथा:
संत, मुनि, स्वामी, संन्यासी,योगी होकर किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा या किसी विशेष राजनीतिक दल का प्रचार प्रसार करना और उस…
Read More » -
त्राहि त्राहि आरति हरन
ललित निबंध एक समर्पित, व्याकुल मन की पुकार है —- ‘त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुवीर’ आर्तता हरणकर्ता,…
Read More » -
विनोबा विचार और आज का समाज
कुमुद रंजन सिंह, समाजसेवी, युवा चिंतक एवं अधिवक्ता भारत की आत्मा यदि कहीं बसती है, तो वह उसकी मानवीय चेतना…
Read More »