धर्म/आध्यात्म
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गीता जयन्ती पर गीता चिन्तन
जीवन के समराञ्गण में किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में पड़ा प्रत्येक मनुष्य ही अर्जुन है।जीवन में जब अनिर्णय की स्थिति में आए…
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नारायण-बलि क्यों ?
वैदिक दर्शन की मान्यता है कि मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन है, इसी को गीता में वासांसि जीर्णाणि यथा बिहाय…
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नामैव हरति पातकम
विश्व की सभी प्राचीन और आधुनिक धार्मिक परंपराओं में यदि एक सत्य निर्विवाद रूप से समान दिखाई देता है, तो…
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भावपल्लवन
श्लोक:- संगच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते।। (ऋग्वेद — मण्डल 10, सूक्त 191,…
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सनातन धर्म एवं संस्कृति का संरक्षक एवं उत्थान कारक होता है गुरुकुल-आचार्य धीरज “याज्ञिक”
क्या आपको पता है कि वह संस्कृत के विद्वान जो हमें वेद,पुराण आदि शास्त्रों का ज्ञान कराते हैं,जो हमारे घरों…
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चूड़ाकर्म संस्कार
सनातन संस्कृति में — संस्कारों का अद्भुत मान, धर्म, योग, वेद मिलकर — करते जीवन का निर्माण। सोलह महान…
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संत बनादास जी महाराज
भारत की संत परंपरा का इतिहास यह बताता है कि जब जीवन में दुख और वियोग मनुष्य को झकझोरते हैं,तब…
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भावपल्लवन
श्लोक जातकर्म नामकरणं निष्क्रमणमथान्नदम्। चूडाकर्म च कर्तव्यमिति धर्मविदो विदुः।। (मनुस्मृति 2.27) *अर्थ:* धर्मज्ञ पुरुषों ने कहा है कि जातकर्म,…
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बुढ़िया माता मंदिर — जहाँ बिना मूर्ति के होती है मां की निराकार स्वरूप में पूजा
✍️ सुप्रिया सिंह झारखंड की धरती हमेशा से आस्था, परंपरा और अद्भुत लोकविश्वासों की साक्षी रही है। इसी आस्था का…
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जो लोग कहते हैं कि ब्राह्मण विदेशी हैं तो ध्यान पढ़ें —
1- यदि ब्राह्मण विदेशी होते तो मनुस्मृति तथा अन्य धर्मशास्त्रों में म्लेच्छदेश-गमन का विरोध क्यों किया गया? हमारे आचार्यों ने…
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