साहित्य

गीता जयंती पर दोहा मुक्तक

डॉ गीता पांडेय अपराजिता

गीता के हर श्लोक में,भरा ज्ञान का सार।
पथ प्रशस्त करता सदा, करो इसे स्वीकार।
गूढ़ तत्व के अर्थ को, समझो पावन गंग,
जो इसमें है डूबता, हो जाता भव पार।।

किंकर्तव्यविमूढ़ हो,जब मानव का ढंग।
चलो कृष्ण की तब शरण,रहो कभी मत तंग।
भाव समर्पण प्रेरणा, करते मार्ग प्रशस्त,
वाणी गीता की शुभग, तन-मन भरे उमंग।।

धर्म हेतु कर युद्ध है, कहे कृष्ण भगवान।
रिश्ते सब है स्वार्थ के,जग का यही विधान।
गीता का माहात्म्य है,वेद शास्त्र का सार,
युद्ध क्षेत्र कौन्तेय को,हुआ सत्य का भान।।

गीता ग्रंथ महान है, इस पर करना शोध।
शिक्षा इसकी उच्च है, कर्तव्यों का बोध।
अर्जुन को उपदेश दे,किए मोह लिया को भंग,
शरण कृष्ण की ग्राह्य लो,दूर सभी अवरोध।।

डॉ गीता पांडेय अपराजिता
सलोन रायबरेली उत्तर प्रदेश

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